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त्रिचमैकि क्वीड़ संग पीड़

कुमाऊँनी कविता,पैल कुमाँउनीं भाषा दिनैकि बधाई दगड़ि!  देख लिया म्यार आखरूकि भीड़! Kumauni Bhasha Divas celebrated on 1st Sep to promote Kumauni Language

"त्रिचमैकि क्वीड़ संग पीड़"!

लेखक: श्री त्रिभुवन चन्द्र मठपाल

पैल कुमाँउनी भाषा दिनाँकदिन 

पैल कुमाँउनीं भाषा दिनैकि बधाई दगड़ि !
देख लिया म्यार आखरूकि भीड़ !
पलायन पारि त्रिचमकि पीड़ !
संग दुख सुखाक क्वीड़ !
मजबूर हबै पहाड़ छोड़ !
दै हम बिपताक मारी !
पलायन नाम धरि दी हो !
ख्वार पारि लिख य हमरि बिमारी !
आज हमुपारि य पलायन !
जाग जाग कैं कलंक है गो !
घरपन देव जागरिंम लै !
य पलायन हंक है गो !
बात बात में य पलायन !
दिलम चुभणीं डंक है गो !
लाखों कमैबैर लै त्रिचम आज !
पहाड़ाक सामणिं रंक है गो !
पै तुमैं बताओ बुद्धिजीवियो !
कैल छोड़ौ खुशी खुशील पहाड़ ?
क्वे बैणिंक ब्याक कर्ज उतारहैं आय !
तो कैकणिं उठ बेरोजगारिक उड़भाड़!

( "त्रिचम उदगा "  ४, सितम्बर २०१८ )
फोटो: गूगल

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