
वरिष्ठ साहित्यकार विनोद चंद्र जोशी ज्यू
कुमाउनी इंटरव्यू © हमार कुमाउनी रचनाकार【05】
प्रस्तुति: राजेन्द्र ढैलामित्रो, मैं आज संक्षिप्त परिचय ल्हीबेर ऐरयूं हमार कुमाउनी रचनाकार विनोद चंद्र जोशी ज्यूक। जनर जनम ०३ मार्च १९५६ हूँ ईजा जानकी जोशी व बौज्यू लक्ष्मी दत्त जोशी ज्यू घर, मोहल्ला ढूंगाधारा अल्माड़ में भौ। इनार बौज्यू स्थानीय निकाय नगर पालिका अल्माड़ बै सेवा निवृत कर्मचारी छी। जोशी ज्यूक हाल निवास लै मोहल्ला ढूंगाधारा अल्माडै़ छ।
◆शिक्षा व कार्य क्षेत्र● शिक्षा अर्थशास्त्र में एम ए. और कार्य क्षेत्र लोक निर्माण विभाग (उत्तराखंड) अल्माड़ में ३२ साल आपणि सेवा दिबेर परि सहायक पद बटी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ल्हिणाक बाद कुमाउनी हिंदी'क साहित्य सृजन में जुटि रयी। प्रस्तुत छन इनन दगै हैई बातचीताक् कुछ अंश,,,,,,
सवाल01◆ अगर क्वे नवोदित लेखक आपूं धैं, आपण लेखन कार्य में सुधार करणा लिजी सुझाव मांगलौ तो कि कौला उधैंॽ
जवाब● आपण ज्ञान और अनुभवा हिसाबलि जतुक लै है सकल जरूर मधत करुंन।
सवाल02◆ उ तीन मनखिनों नाम बताओ जनूल आपूं कें प्रभावित करौॽ
जवाब● १)हिंदी साहित्य में मुंशी प्रेमचन्द, २) स्व.केशव दत्त पांडे ज्यू रामजे इंटर कॉलेज अल्माड़ में हिंदी'क विद्वान प्रवक्ता छी। और ३) महान कुमाउनी कवि शेरदा अनपढ़।
सवाल03◆ आपणि खास रुचि के में छॽ
जवाब● संगीत और कविता लिखण-पढन।
सवाल04◆ आपुण लोकप्रिय मनखी को छनॽ
जवाब● स्व. लाल बहादुर शास्त्री जी हमार पूर्व प्रधानमंत्री।
सवाल05◆ कुमाउनी साहित्य लिखणैकि प्रेरणा कां बटी मिलैॽ
जवाब● कवि गोष्ठी, कवि सम्मेलनों बै। विशेष रूपल बालम सिंह जनौटी ज्यूक निवास स्थान कुमाउनी आश्रम में आयोजित हुणी साहित्यिक कार्यक्रमों में भाग ल्हिणाक वील उ दौराक सबै कवि मित्रों बटी प्रेरणा मिलै।
सवाल06◆ आपूं को-को विधा में लिखछा और आपुण लिखणैकि मनपसंद विधा कि छॽ आपण प्रकाशित रचनाओं (किताबों) नाम कि-कि छॽ
जवाब● मैं जादेतर कविताई लिखूं एक मात्र काव्य संग्रह 'ढाई आंखर' प्रकाशित हैरौ। रचना पत्र-पत्रिकाओं में टैम-टैम पर छपते रूनी। कुमाउनी में काव्य संग्रह 'टुपुक' और हिंदी में काव्य संग्रह 'भाव तरंग' प्रकाशनाधीन छन।
सवाल07◆ आपुण शब्दों में साहित्यकि परिभाषा बताओॽ
जवाब● म्यार हिसाबल् साहित्य मनखियक् विचारोंक लिखित दस्तावेज छ।
सवाल08◆ एक किताब'क् नाम जो आपणि मन पसंद छॽ और एक लेखकक् नाम बताओ धैंॽ
जवाब● किताब छ आंचलिक खंड काव्य 'क्या पहचान प्रिया की होगी' जैक रचनाकार त्रिभुवन गिरी महाराज जी छन।
और म्यार पसंदीदा लेखक छन शेरदा अनपढ़।
सवाल09◆ अछा आपण जिंदगीक् एक यादगार किस्स सुणाओ जो सबन दगडी साझा करण चाला।
जवाब● जब नानछिना एक रात कें पुलम चोरण हूँ जै रैछी दगडुवां दगै, सिसूंणाक् भूड़न फाव (कूद) मारिदे। उ सिसूंणैकि झपैक आजि लै यादै छन।
सवाल10◆ आपुण जिंदगीक् मूल मंत्र कि छॽ
जवाब● न दुहार कें ध्वाक् दियो न कै-कै ध्वाक् में रओ।
सवाल11◆ पहाड़ी खाणु में आपूं, के खाण् भल मानछाॽ
जवाब● रस भात।
सवाल12◆ आपण जिंदगीक् सबन हैं जादे खुशीक् पल को छी या छनॽ
जवाब● पुराण् दगडुवां दगै भेट हैं जब।
सवाल13◆ लेखन कार्य करते हुए आज तक के सम्मान और पुरस्कार मिलि रयीॽ क्या सरकारै तरबै लै कभै क्वे मधत मिलैॽ
जवाब● १)कुमाउनी भाषा साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसार देवी अल्माड़ द्वारा कुमाउनी साहित्य सेवी सम्मान २०१८,
२) पल्लव साहित्य संस्थान अल्माड़ द्वारा साहित्य सम्मान।
३) सरकार द्वारा आजि तक न क्वे मधत मिलि रयी और न म्यार द्वारा क्वे आवेदन करीगै।
सवाल14◆ कुमाउनी लोकभाषा बचूण किलै जरूरी छॽ
जवाब● जब भाषा रौलि तबै हमरि लोकपंरपरा, संस्कृति और हमरि पछ्याण लै बचि रौलि।
सवाल15◆ जिंदगी में सबन् हैं जरूरी चीज के हुण चैंॽ
जवाब● ईमानदारी।
सवाल16◆ आपुण मनपसंद कुमाउनी लेख्वार को छी और वर्तमान में को छनॽ
जवाब● शेरदा अनपढ़, गिरीश तिवारी गिर्दा, मटियानी ज्यू, मथुरा दत्त मठपाल, जगदीश जोशी, जुगल किशोर पेटशाली, दिवा भट्ट, श्याम सिंह कुटौला, मधु मेहरा, हयात सिंह रावत, हेमंत बिष्ट, राजेंद्र रावत, डी एस बोरा ज्यू आदिआदि।
सवाल17◆ अछा आपूं कें टीवी में के देखण भल लागौंॽ
जवाब● डी डी भारती'क हर कार्यक्रम भल लागौं।
सवाल18● आब् जबकि आपूं रिटैर है गहा तो आपुणि दिनचर्या कसी बितैं?के-के करछा आपूंॽ
जवाब● पुराण् शौक जो नौकरी कारण छुटि गौछी उननकें पुर करणेकि कोशिश करूं।
सवाल19◆ कुमाउनी बोलि भाषा कें बढावा दिणा लिजी एक सुझाव के दिण चालाॽ
जवाब● कुमाउनी भाषा कें सम्मान दिण पर इकें बढावा मिलंछ जब हम आपणि बोलिभाषा बुलान में गर्व महसूस करुंन तबै दुहरलै यकें इज्यत दियल्।
सवाल20◆ आपण द्वारा रची चार लाईन जो सबन् कें पढूंण चालाॽ
जवाब● यौ वालि चार लाईन---
"रड़नैकि क्वे उमर नि हुनि भागी
नजर और खुट कभैं कें लै रड़ि सकनी
का्ंत मन में लागौ या ढुंग में
द्वीयै चिफाव है जानी।"
सवाल21◆ अछा आखिर में कुमाउनी बोलि भाषा प्रेमीन हूँ के संदेश छॽ
जवाब● भाषा केवल गोष्ठी, चर्चा-परिचर्चा, प्रतियोगिता तकै सीमित न रूंण चैंन। इकें वास्तविक रूपल अपनूणैकि जरवत छ। खासतौर पर ऊणी वालि नई पीढ़ील।
सप्रेम धन्यवाद सादर
★प्रस्तुति राजेंद्र ढैला, काठगोदाम।
आपसे अनुरोध है कि कलाकार के रूप में ढैला जी की प्रतिभा को जानने के लिए
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