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एक घरवाइक आपुण घरवाव हुं चिट्ठी

कुमाऊँनी पत्र लेखन- एक घरवाइक आपुण घरवाव हुं चिट्ठी Kumauni language letter from wife to huby

एक घरवाइक आपुण घरवाव हुं चिट्ठी

लेखकश्री शंकर दत्त जोशी

15 पैट जेठ, संबत 2076,
स्थान-जैंती, अल्मोड़ा
म्यार सरूली बौज्यू! पैलाग
आठमहिन बाद तुमरि कशलबाद मिलै। परान लौटि आई। बाबा हो.बाड निर्मोही छा तम। चलो मेरि न सही तुमुक आपन नानतिनाकि त फाम औनि, मोबाइल लै बंद करि दे। ज्यौन मरियकि खबर लै नैं दी। तुमुकैं कि पत्त कबिल में रौन कि हुं? जानि बखत लै कजी करिबेर गछा, सब घरवाल मैं जै लागी। मेरि यकै डाड भै। घर औंछा त पिन-खान नैं करौ,पिबेर तुम राक्षस है जांछा। देखौधैं गौं में और आदिमिलै छुट्टी औनी,कसि भलि कै मिलि-जुलि बेर रौनी। मैंलि प्रीम कैंले खूब सुनै-कम से कम तुम त बतौना कि दाज्यू म्यार दगाड़ छैन। उनूलि कौ-दादलि मना करि राछी बतौनाक लिजी। तुमरि भेजियकि मिठाई सबोंलि पचकै, पर आठमहिन तक कैलि तुमर नाम लैनलि,यास छैन तुमार घरवाल।

और सुनाओ, नाराज झन होया हो, तुमू लिबेर मेरि ज्योंनासि भै। देखौ धैं हमार कास भाल नानतिन छैन। बिमला पांच में ल्हैगै। मास्साब बतौनाछी भौत हुशियार छ, नवोदय में निकइ जालि और नान चिंटू त भौतै चंठछ, हूबहूतुमू में जैरौ। हर समय थल की बजारा थल की बजारा' गाते रौं और नाचते रौं। य घाति असाड़िक म्याव में देधुर लै गयों। तुमार नामकि पाठ पाड़ि आयों और भगवति छै कै आयों कि तुमर पिन-खान छुटि जालो त अघिल साल हम द्विए जानि औन और घांट चढ़ौन। खबरदार मैंकें झुठि जन बनाया। तुमार इज-बाब लै नानि ब्वारि क भल माननी किले की उफौजी घरवाइ भै और डिग्री कॉलेज में पढ़नेर भै और घरक सार कुथड़ म्यार ख्वारीनै भै। हां म्यार द्यौर भाल आदिमि छैन। मैं दगड़ि बात लै करनी और घर आला त खूब सामान लै लौनी।  नानतिनाकि काकू-काकूई भै।

ओ हो मैंक तुमरि भौत याद ऐंछ। म्यर मनलै करों मैं लै तुमार दगाड़रौनी, नानतिना के भाल इस्कूल में पढ़ौनी, पर कसिकै? त्मारत हाल भै। स्याव कुड़िक हिमुलि लै चेलिक लि बेर हल्द्वाणि निशिगै, चेलिक पढाई बहानलि। चेलि के आइ तीन साल पर नैं है रै। सास-सौर रिसैराछी। दौ उकैकि सुनैछि, फुर्र करिगे। और क्या नैं दिदि-भिनाक सिरकायकि भै, दिदि-भिनलै हल्द्वाणिरौनी।

य घाति दिवालि में घर जरूर आया। सालभरिक त्यार भै, नानतिन लै खुशि है जाल और म्यार लिजी टचफौन लाया। रिंक पापा रोज वीडियो कौल करनी,फौन में देखीनी। नाराज जन होया हो, यघाति मैं क्या नैं कौं। जानि बखत तुम रिसै बेर गछा,मैंक लै भौत नक लागौ । मैं अबोलि हैरछी त तुमी बुले जना। कुठड़ि है भ्यार नैं निकइया। जानि बखत आपन नानतिनाक ख्वार में हाथ धरि जाना। निर्मोही कथपाक। ढुङ छा दुङ कट्ठर, कर्भ स्वीना में देखीना, कभै बाटुइ लगौना, म्यर मन मानि जान और आब फोन जरूर करिया। मैं दगडि बात नैं लै करला त आपन इज-बाब नानतिना दगड़ि करिया, म्यर मन मानि जाल। खुब देखन-चान छा, बान छा कैकै चक्कर में जन पड़िया। टैम पर खाया, टैम पर ड्यूटि जाया, आपन ध्यान धरिया। आब त पहाड़ में ले ब्याकि एनीबरसरी मनौन फैगी। तलि बाखई धनू-हिमा ब्या भई एक साल पुरीन में की झरफर करै, केक लै काटौ। सोल पैट मंगसिर हैरौ हमर ब्या, प्यार लिजी लै गिफ्ट लाया। य चिट्ठी पिरमुवाकै हाथ भेजि योन। मिठ बुलाला त मिठास बड़लि, प्यार बड़ल, तित बलालात परान यरल। आपन ख्याल करिया, मैंकें ले याद करिया। एक बारि आपन सावकि लिजी लै फोन कर दिया.उकें तमरि मैंहैंबांकि फिकर छ। पैलाग।
तुमरि खिमुलि
 *जैंती,अल्मोडा.मो.-8958509286
पसे अनुरोध है कि
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