

इलैसन ऐरौ
रचनाकार: दुर्गा दत्त जोशी
भुलिया म्यार गों में इलैसनक खणमणांट शुरु हैरौ।
म्यार गोंक पधान, विधैक ज्यूनक एजेंट हैरौ।
बिचार विधैक स्याप कां ऐ सकनी यदुक दूर।
उनार व्दि चार साल में लागिनेर भै एकाध टूर।
आब ईलैसनाक टैम में, गों गों में खूब खवाल पिवाल।
हिसाबलि बांटि जालि, सबैनैकें खुशि करि जाल।
जाग् जागर ज लगाल, पिवै बेर दियाप्त जास नचाल।
गों गों में फिटकराल, ठेकदार जात विरादरी वाल।
भुलिया, भोटिंग वाल् दिन, बाट में ठाड़ हुणें म्यास च्यानी।
बिकासाक बार में, जाग जाग झुठि बुलांणी वाल च्यांनी।
यौ जै क्वे न्हा हमरि धरती में तस बतौंणी लै ह्वाला।
घर घर गों गों नेतानक जागरि डंगरी लै जाला।
जिलै काम ह्वल हम करूंन, जसि गारंटी लै होली।
थ्वाड़ भौत ढेपु लै द्याल, भोटरकि लागलि बोली।
आज नेतानाक इंतजार हैरो, गोंक पधान बजार जैरौ।
नेताक कामकि थें, थ्वाड़ ढेपु, गोपुवै जास लै रौ।
भुलिया म्यार गों में आब फिरि इलैसन ऐरौ।
....................इलैसन ऐरौ।


दुर्गा दत्त जोशी जी द्वारा फेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार
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