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क्वे छु ना दूनी में

कुमाऊँनी कविता, क्वे छु ना दूनी में,  तुतुमर जस म्यर ईज बाज्यू, क्वे छु ना दूनी में। Kumaoni Poem praying parents for their upbringing the child

🍕🍕क्वे छु ना दूनी में🍕🍕
रचनाकार: सुरेंद्र रावत

क्वे छु ना दूनी में, क्वे छु ना दूनी में।
तुमर जस म्यर ईज बाज्यू, क्वे छु ना दूनी में।।

मि पारि मेरी ईजा, त्यर पैलिक उपकार।
म्यर गिजन खित ईजा, त्वीले दूधक धार।

दुसर उपकार तुमुल, दि मकै जनम।
तुमर ऋण में कैसी तारूं, दुख म्यर मनम।।

क्वे छ ना दूनी में, क्वेछ ना दुनीं में।
तुमर जस म्यर ईज बाज्यु, क्वे छु ना दूनी में।।

तिसर उपकार तुमुल, सैंत पावी मकणीं।
कतुक दुख झेला तुमुले, के खबर कांकणीं।।

चों उपकार तुमुल, पढ़ाय लिखाय।
पढ़े लिखे बटी म्यर, घरवार बसाय।।

क्वे छु ना दूनी में, क्वे छु ना दूनीं में।
तुमर जस म्यर ईज बाज्यु।क्वे छु ना दूनी में।।


ॐसूरदा पहाड़ी, 29-08-2019
सुरेंद्र रावत, "सुरदा पहाड़ी"

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