
🍕🍕दिन नैहैं जां धारमा🍕🍕
रचनाकार: सुरेंद्र रावत
रक सरक सरकनें, दिन नैहैं जां धार मां।
जिन्दगी गुजारी ल्यो, चार दिनं प्यार मां।।
ओ दिदी दगड़े हंसूला, भुलु दगडै रोऊंला।
दाज्यु दगड़े गांऊला, ओ भुली दगडै नांचूला।।
ठन्डो ठन्डो पाणी हां, यो ज्योन पराणी मां।
निछ में बिराणा दिदी, निछै त बिराणी हां।।
ठन्डो ठन्डो पाणी हां, यो ज्योन पराणी मां।
निछु में बिराणा दाज्यु, निछा तुम बिराणी हा।।
माया मोह जाल मा, बखत कि चाल मां।
जिन्दगी गुजारी ल्यो, चार दिनं प्यार मां।।
ओ बुबु दगड़े हंसूला, आमा दगडै रोऊला।
कका दगड़े गांऊला, काकी दगड़े नाचूंला।।
कोयल लै की कुहुक, कफुवै बुलाण मां।
सुवा की सुरत मां घुघुती घुर्याण मां।।
सरक सरक सरकर्ने, दिन नैहैं जां धार मां।
जिन्दगी गुजारी ल्यो, चार दिनं प्यार मां।।

ॐसूरदा पहाड़ी

सुरेंद्र रावत, "सुरदा पहाड़ी"
0 टिप्पणियाँ