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मणी रड़ी त्यर प्यारा


🍕🍕मणी रड़ी त्यर प्यारा🍕🍕
रचनाकार: सुरेंद्र रावत

मणी रड़ी त्यर प्यारा, हामूकैं करि दि भ्यारा। 
इज बाज्यु बगैर च्यला, कस त्यर परिवारा। 
जैलै खाय म्यर हाथोंलै, कभै रूनैं दुदु भाती। 
परिवार कैं तलि लिजनों, कण लै रौ मिहांती।

कैसी कनूं च्यला आब, त्यर सरसी भला। 
त्यर बाज्युल कौय मकै, चार तौल सुन द्यला।। 
चार तौल सुनक जगम, म्यर हरै जाल सुन। 
आपुण बाज्युक पहाड़ों में, छै तु एके मुन।

चाहे जा तु हल्द्वानी में, या फिर देहरादून। 
म्यर पहाड़ों जस तक, नि मिलल सकून।। 
चाहे जातु हल्द्वानी में, या फिर देहरादून । 
म्यर पहाड़ों जस तकैं, नि मिलल सकून।।

मणी रड़ी त्यर प्यारा, हामूकैं करि दि भ्यारा।
इज बाज्यु बगैर च्यला, कस त्यर परिवारा।
जैलै खाय म्यर हाथोंलै,कभै रूनैं दुदु भाती। 
परिवार कैं तलि लिजनों, कण लै रौ मिहांती।


ॐसूरदा पहाड़ी, 05-09-2019
सुरेंद्र रावत, "सुरदा पहाड़ी"

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