
ब्या'क फिकरम
रचनाकार: जोगा सिंह कैड़ा
सिराण जंगल पयाण स्यारा
बीचम बगन पाणि गध्यारा।
द्वी जोड़ी बल्द चारछीं भैंस
सौरज्यू त्यारा सयांण मैंस।
उत्तर मुखिय् नौलक पाणि
राज करली बनिबे राणी।
ना झन कयै ओ मेरी चेली
हाथम रौली सूनेकि बैली।
बिजली पाणि मोटरे लैना
तलाउं खेतीछ सैंण मैदाना।
समय पर जैल नि मानी
बिती उम्र लौटि नि आनी।
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