
शकुनाखर
(कन्दान में बैठणों गीत)
तारा पाठक (आमा कोचिंग सैंटर)
कोएऊ बैठे चंदन चौकी,
कोएऊ खरुड़ बिछाय ए।
कोएऊ बैठे चंदन चौकी,
कोएऊ खरुड़ बिछाय ए।
दशरथ ज्यू बैठे चंदन चौकी,
रामी चँद्र बैठे चंदन चौकी,
लछीमण बैठे चंदन चौकी।
जनक ज्यू खरुड़ बिछाय ए।
(वरा तरुबा बैंगों,च्यालों नाम) बैठे चंदन चौकी,
दूलाहा बैठे चंदन चौकी।
(ब्योली तरुबा बैगों, च्यालों नाम) खरुड़ बिछाय ए।
कोएऊ बैठे चंदन चौकी,
कोएऊ खरुड़ बिछाय ए।
(जब बर्यात चेली यां ऐं बरेतियों आवभगत करीं जैं, कन्दान में बैठण बखत वर पक्ष वालों कें सम्मान दिणा लिजी चंदन चौकी में बैठूनी लेकिन ब्योली पक्षा लोग भिं में आसन बिछैबेर बैठनी)
फोटो सोर्स गूगल

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