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गौं बै शहर - यांकौ अगासै दुसौर छु (भाग-०२)

कुमाऊँनी नाटक, गौं बै शहर - यांकौ अगासै दुसौर छु, Kumaoni Play written by Arun Prabha Pant, Kumaoni language Play by Arun Prabha Pant, Play in Kumaoni Language

-:गौं बै शहर - यांकौ अगासै दुसौर छु:-

कुमाऊँनी भाषा में नाटक

(लेखिका: अरुण प्रभा पंत)

->गतांक भाग-०१ बै अघिल->

-अंक पांच

अघिल दिन रत्तै रत्तै नरैणौक परिवार लखनौ पुजौ और वा बै सिद्द इलाहाबादैक ट्रैन ब्यालैक छी तो नरैणैल सब सामान क्लौक रूम में जाम करवै बेर वेकै वेटिंग रूम में नै ध्वे बेर नानतिनन कं लखनऊक चिड़िया घर और अजायब घर दिखूंणौक मन बणा और पासाक एक दुकान में चहा दूध और बन-मक्खन जलेबि समोसा सबन कं खवई तो सबनाक आंख ताणि ताणियै रै ग्याय।

भैर कैलै कब्भै खइयै नि भौय उन सबनाक लिजि एक अणकस्सै जै फसक भै।  सब खुस्सी तो भाय पर जब नरैण कं जेब बै नोट निकायते और दुकानदार कं देते देखौ तो पद्माक मुखौक स्वाद बिगड़ जौ गो।
पद्मा - शुणौ यां भौत्तै महंग छु नै सब चीजबस्त!"
नरैण - "नै नै लखनौ तो जियादे महंग न्हां, माघाक म्हैण इलाहाबाद तु देखनी तो हर चीजनाक दाम अगास पुज रूनी।"  इतु तो डबल खर्च करणै भाय हो पैल बार मैं तुमन कं भ्यार लै रैयूं, आब तु चिंता नि कर मैं सब सोच समझबेर करणयूं, तु बस सब खुस्सि मनैल खा और देख, मैं छुनै"!
पद्मा - "अल्लै बै नानतिन मुख चढ़ जाल, जरा बस यों ध्यान धरिया"
नरैण - "होय होय, म्यार बस चलौ तो मैं क्याप क्याप कर द्युं।  चलौ पैल्ली मै तुमन कं याक इष्टदेब हनुमानजी ज्यूक दर्शन करै ल्यू।"
पद्मा - हाय मुख झुठै बेर मंदिर!
नरैण - "परदेश में सब चलूं।  पैल्ली के बिचार मंदिर जाणौक न्हैंछी, यांक परसिद्ध मंदिर छु, म्यार तो इलाहाबाद बै लखनौ ऊंण जाण होते रूं।"
"ऐं रिक्सा अमीनाबाद चलोगे!"
एक रिक्सौ रुकुवै बेर नरैणैल पुछौ - जी बाबूजी,सारी सवारी?
नरैण - "हां
रिक्सौवाल - बीस रुपिया।
नरैण - "पन्द्रह दुंगा मंदिर के पास रोकना"
रिक्सौ वाल - "बोहनी का टैम है चलिए"
पद्मा - "तुमुल दस रुपैं कूण चैंछी।
नरैण--"यार, उ लै तौ मिहनत कर आपण नानतिन पावणौ, तौ तो  अत्ती है गे।"
मंदिराक भ्यार भीड़ बजारैक गिरदम्म देख बेर नरैणाक अलावा सबै भिसमांत में हैग्याय।
पद्मा - यां तो मेसनौक समुद्र छु।
नरैण - आय तु ब्याल हुं देखनी तो गिज तांणियै रै जाली"
नरैणैल घड़ि देखी और उनन कं गड़बड़झाला लिगो।
नरैण - पिछिल बरस तुमौर सब सामान चुड़ बिंदी माव मैं यैं बै लाछियूं ।
पद्मा - रूण दियौ देखबेर ल्हिणौक मन है जां।
नरैण - एक चक्कर लगै वापस फिर टैम्पो में बैठ बेर चिड़िया घर जूंल और तीन बाजि तक फिर स्टेशन और फिर गाड़ि में बैठ ग्यार बाजि तक इलाहाबाद पुज जूंल उसी मैल कै राखौ नानतिन ल्यूणयूं क्वे सरकारि गाड़ि भेजि द्योल।"  भोल छुट्टी छु, पोरू बै हकाहाक है जालि।  रत्तै दस बाजि है पैल्ली औफिस पुजण पणूं और ब्यालाक छः बाजि जालैं फुर्सत नै"
बातचीत करन करनै एक आध सामान खरिद बेर सब एक टैम्पो में बैठ चिड़िया घर पुजन।
नरैण - यो देखौ किसमकिस्माक चाड़ बानर, लंगूर।
पद्मा - या भितेर उणौक लै टिकट भौय नै?"
नरैण - यां परदेश में चुल लिपणौक मांट लै बेचां समझी, डबल तौ हर चीज हुं चैंनी।  आब तु म्योर दिमाग नि खा बस, मैलै पैलबेर आपण नानतिनन कं लै रै यूं।  म्यार लै के मंसुब छन, तु बस चुप्प लाग रौ।  तौ देखौ भाल, कस बास ऐ रै यां।  देखो बेटा यहां "चढ़ना मना है"  लेख राखौ।  रीता और नीता तुम मकं पढ़बेर शुणाऔ जो जो साइन बोर्ड लाग रैयीं। 
"बाबू हिंदी वाल तो पढ़ ल्ह्यूंल पर यो अंग्रेजि नि पढ़सकन।" रीताल कौ।
नरैण - "इनन हुं ट्यूशन लै लगूण पड़ौल मकं तौ ऐतवारैकि फुर्सत भै"
पद्मा - "यां बस डबलनैक चुटाचूट भै"।
अजब काव भै यो देखण हुं  लै डबल खर्च करण पड़नेर भाय, हमूल  इतु बर्स यो सब देखियै भौय, पद्मा मनै मन सोचणै, नरैण डांठौल कर बेर मनैमन हिसाब लगूंड़ै करीब तीस चालीस रुपै बच जान अगर या निऊना तो।
वां चिड़ियाघर में जो रेल छि उसमें लै सब बैठन फिर ठीक द्वि बाजि गोछी और सब एक टैम्पो में बैठ बेर स्टेशन पुजीं सामान निकालौ।  प्लेटफार्म में सबंन कं बैठा और वैंबै पुरि छोले खवयी सबन कं।
नरैण - छोले भटूरे कुनी इनन थैं।
पद्मा - मैंल भेटौलिक जा पुरि और दाव समझी।
नरैण - यै दगै काच प्याज और हरि खुश्याणिक जोड़ भौय।  चलौ रेलौक डाब खुलगो, उ डाबन हुं हिटण छु तु बस नानतिन देख मैं यकलै सामान लिऊंल, म्यार दगै हिटौ।
सबन कं गाड़िक भितेर बैठै बेर नरैण तालै र्योड़ि गजक बिस्कुट और क्याल ल्हिबेर ऐ गोय।  पद्मा कं भल नि लाग पर नरैणाक डरैल चुप्प रै।  नानतिन बारि बारिल खिड़की तीर बैठीं और गाड़ि जब हिलण लागि तो नीता और सुनीता ताई बजूण लागीं उनौर हंसते हुए मुख देख बेर नरैणैल सोचौ कि इतु नान मासूम नानतिनाक लिजि मैं केलै कर सकनूं और करुंल।
इथकै पद्मा सोचणै ऐसी तौ, यो नानतिन भौत्तै ख्वारन बैठ जाल, इनन कं तो भौलैक के खबरै न्हा।  ऐस सोचते हुए पद्मा जब आपण बिचारन में मगन छी तब नरैण पद्मा थैं कूण लागौ - यो नानतिन हमौर भविष्य भाय, इनार लिजि हमूल  धरती अगास एक करण छु तु बस म्योर साथ दिये।
पद्मा - इनन में कम है कम एक च्योल हुं धैं।
नरैण - "छि, करदि नै त्वील गुयैन फसक, अज्यान च्योल चेलि के नि हुन बस लैक संतान हुण चैं समझी।
आज त्वील कै हालों आब कभै झन के तस बात।"

क्रमशः अघिल भाग-०३ ->>

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

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