'

मै-चेली और बौल बुति (भाग-०५)

कुमाऊँनी धारावाहिक कहानी, मै-चेली और बौल बुति, long kumaoni story about struggle of as single mother and her daughter, Kumaoni Bhsha ki Kahani

-:मै-चेली और बौल बुति:-

प्रस्तुति - अरुण प्रभा पंत
->गतांक भाग-०४ है अघिल->>

ऐसिकै दुखंबा-दुखंबा जिबुलि और चंपा ठुल है ग्याय। आब चंपा कुनकी चौउद बर्सैकि और २९ बर्सैकि जिबुलि है हां पर जिबुलिक मुख चाऔ धैं औरी सयांणि जै है गे कुंछा। कभ्मै कैथैं के कूण नै, बलाण लै जरवत भरिकौ, ऐसिकै सबन दगै पछमिलौ (मेल-मिलाप) है बेर गौं में वील पंद्र सोल बर्स बितै हाल। सबै उकं समझ ग्याय कि यो जिबुलि हाथ उणी न्हान, फिर लै कोशिश करनै रुनेर भाय कि तौ जिबुलि कं आपण जाल में फसूंल जमें गौंक कुछ तथाकथित गणमान्य और भगवांनाक भक्त लै भयै।

आब एक्कै कमजोरी वीक चेलि चंपा भै जकं ल्हि बेर पुर गौं जिबुलि थैं कुनै रुनेर भाय कि "कब करली आपण चंपाक ब्या?क्वे पैल ब्याक उमर स्वानिक तो मिलौल नै, तैक बाब पगल, त्यार पास दैज दिणैकि सामर्थ नै, मैत बै लै त्योर क्वे सहार नै"। क्वे कुनेर भौय--"हमरि मान तु जल्दी तैक हाथ पिंहाल करदे, के करछै, ब्या तो करणै भौय, भाग में सुख होलो तो मिली जाल, नंतर आपण सौरास में दुखंबा सुखंबा द्वि र्वाट हाथखुट फतोड़ बेर खैई ल्हेल।"

जिबुलि सब शुणनेर भै पर चुप्प रुनेर भै ।उकं ब्याक नाम पर आपण ब्या याद ऐजानेर भौय। जिबुलिक आंग बकुरि (रौंगटे खड़े होना)जानेर भौय। पर कभ्मै लै वील आपण मुख बै के नि कौय। उताण ठुल गौं भौय सबै पुजपाठ वाल भजन कीर्तन और रामायण, भागवत करणी मैंस भाय, शौण में शिवार्चन लै करनेरै भाय पर जिबुलि और चंपाक दुर्घर्श श्रम, वीक अन्तर्वेदना समझणी एक लै मैंस वां नि भौय फिर लै हम कुनु कि हमार पहाड़िन में देशन है कम खराबी छु। हम भौत भाल छां।,के मैं ग़लत कुणयुं!

हमन में लै अनेक कमी छी हम एक गौं में एक गरीब परिस्थिति मारी मै चेलिनैक मदद सिर्फ तबै करण हुं तंग्यार रुनेर भ्या जब उ तुमिर सामुणि हाथ पसारौ आपण देह तुमनकं सौंप दियौ! यौं सब ज्वलंत प्रश्न छन जनौर जवाब हर युग मांगौल, एस नै के सबै खराबै हुनी पर जो भाल हुनी उनन कं एक सताई हुई शैणि कैसी पछ्याणैलि?---

क्रमशः अघिल भाग-०६
मौलिक
अरुण प्रभा पंत

अरुण प्रभा पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी शब्द सम्पदा पर पोस्ट
अरुण प्रभा पंत के बारे में जानने के लिए उनके फ़ेसबुक प्रोफ़ाईल पर जा सकते हैं

अगर आप कुमाउँनी भाषा के प्रेमी हैं तो अरुण प्रभा पंत के यु-ट्यूब चैनल को सब्सक्राईब करें

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ