कोविडासुर-१९
(कुमाऊँनी व्यंग्य)
लेखक: विनोद पन्त 'खन्तोली'
इन्द्रादि सब द्याप्त नारद ज्यू क नेतृत्व में ब्रहम्पुरी उज्याणि बाट् लाग। सबनाक मुखन ले मास्क लागि भै, हात में सैनिटाइजर कि बोतल भै सबनाकै, आब मास्क ले डबल पैरी भाय। सबसे ज्यादा हाहाकार नरकपुर में हई भै, वां लाखनकि सख्या में कोरोना मरीज निकलण लागि भाय। हालाकि नरकपुर क मुख्यमन्त्री यमराज ज्यू लि सख्त नियम लागू करि भाय। जो कोरोना लि मरी आदिम उणाय उनार लिजी एक अलग नर्ककुण्ड बणाई रई भै। कुछ जो स्वर्ग में जाणि लैक भाय उनन कें आदरपूर्वक स्वर्गपुर भेजि जाणय।
साधारण लोग जो और बीमारी लि मरी भै उनन कें चौदह दिन क्वारम्टीन करिबेर नरकपुर में प्रवेश मिलण लागि भै। फिर ले नरकपुर में बहुत मरीज बढण लागि भै, इन्द्रपुर में ले बरुणदेव, चन्द्रदेव और पोजिटिव निकलबेर अखिल इन्द्पुर आयुर्विग्यान सस्थान में एडमिट हई भाय..। अग्निदेव सामान्य लक्षण मिलण पर होम क्वारन्टीन हई भाय, कई यक्ष किन्नर गन्धर्व प्राइवेट अस्पतालन में भरती हई भै। भूलोक, नागलोक'क नागरिक सरकारि अस्पतालन में आक्सीजन बिना तडफण लागि भै।
कई राक्षस, भूत, पिशाच, आक्सीजन और रेमडेसीवीर'क ब्लैक करिबेर आपुण खजान में स्वर्ण चादी क मुद्रा, रत्न वगैरह जाम करिबेर आपुण इहलोक सुधारण में लागि भाय। इन्द्र देव ज्यू क टेन्शन में दाढि बढिबेर रिषि मुनि नैकि जसि हई भै..। बार बार मीटिंग करणाय, देवलोक'क स्वर्गपुर क मुख्यमन्त्री नाक दगाड समन्वय स्थापित करण लागि भै..। कैलाशपुर और क्षीरसागरपुर में कई शहरन में सख्त लाकजाउन ले लागि भै.. पर हालात बीसै उनीस नि हई भै।

सब द्याप्तनलि मिलबेर ब्रह्मदेव'क पास जैबेर यो महामारी'क बार में जानकारी लिणकि सोचि और कसिके अन्त होल कैबेर ले ब्रह्मदेव छें सहायता मागणकि सोचि..। योई क्रम में सब ब्रह्मपुर उज्याण बाट लागि भै, सब जाणी ब्रह्मपुर पुज .. वां गेट लै सबनौक टैम्परेचर चैक करी गो। सबनाक हाथ कुहुन तक सैनिटाइज करि ग्याय.. सबनैलि ब्रह्मपुर में प्रवेश कर..। वां जाते ही कुछ द्याप्तनैलि मास्क मूख बटी तलिकि करि हाल तो तुरन्त पुलिस वालनैलि एक हजार स्वर्ण मुद्रानक चालाक कर दी..।
बाकि द्याप्त भ्यैरै बैठाई गे .. कुछ प्रमुख द्याप्त भीतर गे, वां ब्रह्माज्यू लि पुछ - कि बात .. सब जाणी एकै दगा किलै आछा? नारद ज्यू कूण लाग - हे परमपिता यो यसि कि बिमारी ऐ .. यैक बार में बताओ .. न यस देख नै सुण .. हे प्रभु बताओ। ब्रह्मदेव कूण लाग - हे द्याप्तो.. कोरोनासुर नामक एक राक्षस छी.. वीीलि लगभग उन्नीस साल तक चायना'क बुहान नामक नगरक एक अत्याधुनिक गुफा में घोर तप करौ और मेके प्रसन्न करौ। मैलि कोरेनासुर कि तपस्या बटी प्रसन्न हैबेर तछैं को - हे कोरोनासुर मी तेर तप बची प्रसन्न छ्यू .. आज बटी तेर नाम कोविडासुर-१९ होल .. बर माग।
तब कोविडासुरैलि कौ.. हे परमपिता मी न तो क्वे दवाई लि मरू न पुडिलैलि, न इन्जैक्सनैलि न आपरेशनि न मी कैकैणी देखां हऊं.. मेके रक्तबीज'क चारि लगातार बढनक ले बर दिओ..। मेके तथास्तु कूण पडौ .. लेकिन दगाडे मील यो ले कौ कि - तू सैनिटाइजर क सम्पर्क में खतम होलै, मास्क जैक मुखलै होल वी पर कम असर करलै.. जब त्यार अत्याचार बढ जाल तब वैक्सीन आलि जैल तेर प्रभाव कम होल..। द्याप्त कूण लाग - तैक परमानेन्ट इलाज कब होल प्रभू .. तैक निवारण कसिके होल ..?
ब्रह्मदेव कूण लाग - तैक बार में अल्ले के नै बतै सकन्यू .. यो सब भविष्य क गर्भ में छ.. तुम लोगनैलि ले बहुत लापरवाही करि राखी..। पर्यावरणक नुकसान करि राखौ.. जब तक तुम नि सुधरला तब तक कोविडासुर खतम नि हौ.. तब तक आपुण कर्म नकि करि भूगतो..। यस कैबेर ब्रह्मदेव उठबेर न्है गे.. द्याप्त वापस बाट लाग गे..।
विनोद पन्त' खन्तोली ' (हरिद्वार), 24-04-2021
M-9411371839
फोटो सोर्स: गूगल
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