
भगवानोक देन छ सब कुछ
(रचनाकार: देवेन्द्र सती)
भगवानोक देन छ सब कुछ,
हम ले इनुके क्ये दीण सीखु
जसे सूरज हमुके रौशनी दियू,
, हवा नयी जीवन दियू
पेटक भूख मिटूणाक लिजी धरती माँ अन्न दये
राहगिरो के गरम घाम मे पेड़ हमूके दिनी छाया
ऊँच ऊँच पहाड दवाईयोक भंडार दयु
बगनि गाड गध्यार मिटानी हमरी तीस
भगवान दिनी इतु हमुके बदलमें हम क्ये दिनू
सोच वे देख मनुष्य तेरी इंसानियत का गे
जो पेड़ छाया फल दिनी उनुके तू काटन छे
जो धरती देये खाहू अन्न
उसके बंजर बनुण छे
ऊँच ऊँच मकानोक लिजी
पहाडो क छाती फाड़ेरेछे
जो पहाड़ रक्षा तेरी करनी
उन औषधियो को हटून छ
जो गाड गध्यार तेरी तीस बुझुनी
उनके बाट बदल रे छे
हे चतुर मानव खुद तू
अपन खुटा मे कुल्हाड़ी मारन छे
आई ले समय छ संभल जा मनुष्य,
पहाडो ल त्यर अस्तित्व छ
ध्यान रख येक तू,
तेरा जीवन एक गिफ्ट छ
इतु अन्याय नि कर पर्यावरन हू
इक दिन य तिके मिटे दय्ल
जो दिन आल बाढ़, भूकम्प
तुके पूर मिटे दय्ल
देव सती, चौबटियक थोड़ तलि बटि, पपनैपुरी पाखुडा़, July 25, 2018

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