खरी खरी-1032: हमार नान
रचनाकार : पूरन चन्द्र काण्डपाल
पैलिबै नान अठार साल में बालिग हुंछी,
आब आठ साल में ज्वान हूं फैगीं,
टेलिविज़नल नान सायण बनै हलीं,
ठुलांक समझणी बात नान समझै फैगीं।
नान बखत है पैली ज्वान हैगीं,
गिचल लै बलानी हरकत लै करैं फैगीं,
पैली बै मै-बाप नना पर नजर धरछी,
आब नान मै-बाप पर नजर धरैं फैगीं।
नना में इस्कूली जास गुण खतम छीं,
फैशन क जोर बेखौप बढ़ते जांरौ,
लच्छण जो इस्कूलियाँ में पाई जांछी,
उ शील स्वभाव दिनोदिन घटते जांरौ।
फिर लै हिम्मत करो नना कैं भली समझौ,
देर सबेर जरूर सुधराल निराश नि हौ,
हाम बिगड़ी बहोड़ियाँ कैं लै नि छोड़न,
मनखियक पोथिल छ सपड़ौल, पहौर लगौ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल, 21.03.2022

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