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जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

कुमाऊँनी भाषा में शेर-शायरी, ज्ञान पंत जी द्वारा  Kumauni Sher-Shayari by Gyan Pant, Kumaoni Shayari


जिम कार्बेट पार्काक् शेर......

रचनाकार: ज्ञान पंत

बेयियै बात 
न्हे गे....
आज' कि 
खबर कर। 
................
रात त 
सबनै बानैकि भै....
दिन पत्त नै
 कै हा्थ पड़ौं ।
................
तु लाख कर....
बखत 
न्है ग्यो त 
फिर कभै नि आ। 
................
आपण हिसाबलै 
सब हुनेर भै.....
तु मनखी छै त 
"ढब" बदयि सक्छै। 
..................
कचुव पाँणि 
बतैं दिंछ ....
कि , पहाड़न में 
सब ठीक-ठाक न्हाँ। 
..................
मूँख 
कब जाँणैं लुकालै....
उड्यार है भ्यार त 
ऊँणैं पड़ौल। 
...............
मैंस छै त 
मैंसना्क जा्स 
काम ले करी कर....
नन्तरि 
को पुछण लागि रौ 
यो दुन्नि में। 
..................
कसिक कै सक्छै 
कि .....
तु 
ज्यूँन छै। 
................
मरणाँ लिजी ले
के न के 
नेर चैन भै....
खाल्ली 
याँ
क्वे नि मरन्।
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बखत'कि बलिहारी छ 
पहाड़न में बिहारी छ 
उत्तराखंड त बँणि ग्यो 
पछ्याँणनेर एक नि भ्यो।

बखत'कि बलिहारी छ 
सरकार ले आपणीं छ 
एक जो नेता है ग्यो 
कभै हा्थ नि लाग्नेर भ्यो।

बखत'कि बलिहारी छ 
सड़क बिजुलि ले पुजी छ 
आ्ग हालौ बिकासा-ख्वार 
बखायि त पुरी खाली ईई छ।

बखत'कि बलिहारी छ 
ठेकदार' नैकी चौल छ 
नेता दगा्ड़ सल्ला है रौ 
तबै पहाड़ ढुँङ में रै रौ।

बखत 'क बलिहारी छ 
दुन्नि बज्यूँण ले न्यारी छ 
उ त आज न्है ग्यो कूँछा 
आ्ब भोल मेरि बारि छ।
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शब्दार्थ:- 
बेयियै - कल की, 
बानैकि - हिस्से की ,  
ढब - चाल / तरीका,  
लुकालै -- छुपाओगे, 
उड्यार - गुफा, 
नन्तरि - वरना, 
नेर - बहाना
पच्छयाँणनेर - पहचानने वाला,  
चौल - मौज,  
सल्ला - सांठगांठ,  
ढुँङ में रै रौ - उपेक्षित है,  
दुन्नी बज्यूँण - बेकार की दुनियाँ (सही भाव कोई विद्वजन ही बताएंगे)

May 17, 21 2018
...... ज्ञान पंत
ज्ञान पंत जी द्वारा फ़ेसबुक ग्रुप कुमाऊँनी से साभार

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