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पहाड़न में बर्यात

पहाड़न में बर्यात

पहाड़न में बर्यात

लेखक: विनोद पन्त 'खन्तोली'

पहाडन में जब बर्यात बाट लागें तो ढोल दम्मू बीन बाज तुरी वगैरह बाजण बैठनन तो जदुक ले बरेती हुनन उ तन मन धनैलि नाचण बैठनन। कुछ बरेति तन लि नाचनन, नाचते नाचते तन यानि कि शरीर कि मौ गाड लगै दिनन . .। इनर खुट अमडकी जाओ या बाट में रड जाओ, जोत फाट जाओ या ज्वाताक भितर ढूग क कंकर न्है जाओ। पर यो पुर शरीर कें छत्तीस जाग बटी टोडि मरोडं बेर नाचाल। यो सोचनन कि बरेति क न्यूत छ, आज नि नाचल तो कब नाचुल! मतलब बरेति न्यूत करियक ऐसान यो नाचि बेर उतारनन . .। इनन बीच में जाग नि मिलैलि तो किनार नाचाल, किनार बटी भ्योल घुरीणक डर भै तो पछिल नाचाल। कति मोड(बैन्ड) आल, तो अडौकणै नाचाल, पर नाचाल जरूर। अगर इनन कें बर लि पिलाई होलि तो बर क अघिल जैबेर जरूर नाचाल। ताकि बर कें पत्त लागौ कि यार देख ले तेर पिलाई ख्याड नि जैरय।

एक प्रजाति नाचणिनकि यसि ले हूं जो मनैलि नाचनन। यो बिचार उ लोग हुनन या तो नाचण नै उन या भौते शरमानन। सोचनन क्वे कूनौ जब तो नाचना या क्वे घ्वैडि बेर ल्हिजान तब नाचना। पर कैकै पडि रूं दुसारके. . सोचो ढोल में ध्यानघा नाघना कुटुरि कुटुरि लाग रौल तो को रनकारक मन नि करौल नाचणक! तो यो लोग मन मनै नाचनन। क्वे नाचणी वाल कें देखिबेर ताई बजाल, अन्यारा खुटन छपकाल, या जेबन हात डालिबेर आंगु रिगाल। या उत्ती उत्ती कंध कें रैंचुई ईस्टाइल में हलकाल. .। अगर क्वे नाचणतें कौल तो नै नै कैबेर पछिल हटाल, सोचाल नाचूं या नि नाचूं। यै उघेडबुन में रै जाल और इनन कें घ्वेड बेर ल्हिजाणी तब तक नाच क बीच में न्है जाल। यो बिचार क्वे दुसर घ्वेडिबेर ल्हिजाल कें सोचाल, यो क्रम चलते रौल पर यो तन लि नि नाच सक।

कुछ लोग यास ले हुनन जो न तो नाचण जानन ना नाचणकि शौक हुनि पर उ जेब बटी डबल निकालिबेर कबै बर क बरमान ले लगाल कबै छलरिनाक अघिल रिगाल फिर तलि मलि करिबेर दी द्याल। यो डबल यै लिजी दिनन ताकि बर क परिवार पर यो जतै सकौ कि हम तुमार खास छां। और बर क परिवार ले चै रूं कि को कदुक डबल लुटूण लागि रौ। जो जदुक डबल ज्यादे लुटाल उ उदुक खास मानी जाल। कबै पछिल बाट तो कबै वीकै सामणि कयी जाल, ओहो! पाने ज्यू तुमलि भलि रौनक करि राखछी हो, ढोली ले खुशि हैगे हुन्याल। पांच सात सौ तो तुमलि दे हुन्याल ईनाम। लुटूणी वाल ले हक्क बक्क रै जां, गजब गण द्ईन हो इनैलि हमार हाता क डबल। यो लोग धन लि डांस करणी भाय, हालाकि यो डबल लुटूण क मजबूरी बर क खास रिश्तेदार परै हूं पर इनन देखा देखा देखी कुछ घोडी रम चणकाई।

भ्यैरा क बरेति यास ले हुनन जो इनार दस क नोट लगूण पर पुर पचास क लगै द्याल। फिर रिश्तेदार कें ले मजबूरी में पचास क लगूण पडौ। यो घोडी रम वाल तुरन्त सौ नोट खाप भितर हालि बेर ढोली क बिलकुल अघिल बटी ऐबेर आपुण द्विये तर्जनी आगूंन कें ढोला क सिट क समानान्तर जोर जोर कि छटकूण बैठनन। ढोल वाल ले ठोल कि आवाज तेज करि दी और आजि डबल निकालल कैबेर दगाड में मुनि ले हलकूण बैठ जां। फिर उ घोडी रम छाप बरेती ढोली क मुनि हलकूण पर एक सौ नोट आजि निकालि द्योल। फिर ढोल वाल भाई सैप मुनि क दगाड नहर (कन्ध) ले बलकूण बैठ जानन। यो घोडी छाप न नोट निकालण पर जो रिश्तेदार पचास क नोट निकालि ल्हिरौछी उ सरेन्डर करबेर किनार बटी तमास जस देखण बैठ जां। घोडी छाप सोचों कि मीलि तनर रिश्तेदार कें हरै हालौ। फिर और जोश में ऐबेर आपुण जेबक लास्ट नोट ले ढोली उज्याण बढै दीं।

आब यो घोडी छाप बर क रिश्तेदारानाक तरफ यो अंदाज में देखौं कि - होगा तू डबल वाला अपने घर का, मैं जो कम क्या हूं। फिर एक बार और जेब में हात डालौं मानो कि यग्य में पूर्णाहुति डालल। पर जेब बटी यो बार डबलनाक जाग में सुरती पुडी निकलैॆ। आब यो घोडी छाप जरा किनार है जां और लगभग मुस्कराहट क साथ बर क उ रिश्तेदार जेब बटी बीस क नोट निकालिबेर ऐ जां। आब बाज बजूणी ले आपुण परमानेन्ट गहाकै तरफ उं। यो घोडी छाप ले हार नि मानन उ ले ढोल वालैकि तरफ गरुडा क फांक करिबेर द्विये हातन लूं।

ढोल वाल यो फकत हई घोडी छाप कें हटूणा लिजी सिटन कें ढोल में यसिके फतौडों कि एकाट चमैट उ फकत बरेति ले लागी जाओ ..। एकाद तो थै हालौं पर क्याट्ट क्याट्ट करिबेर चार पांच पड जानन तो उ बिचार हातन छटकून छटकूनै बिलकुल पछिल जैबेर एकलै डांस करण बैठ जां। यो बिचार बरेतियाक दगाड सबसे नक दुसार दिन रत्तिब्याण हूं, नस्स उतर जां। खोर पीड हैरूं, माचीन जस हैजां और सुरती क अमल लागि रूं। सुरती सगी रूं लेकिन उ बिचारकि पास सुरती ल्हिणै तें पांच क नोट ले नै हुन। उकें याद करणकि कोशिस करौ कि बेई रात तो जेबन तीन चार सौ रुपै छी कां गे हुन्याल!

यो प्रजाति भै धन लि डांस करणी वाल भाय, यो प्रजाति क द्विये प्रकाराक पछिल पछतानन। उ रिश्तेदार सोचनन कि खालि फोकट पांच सात सौ चुन लागि गो। आब यो जाण बखत क पिठ्या ताकि रूनन, ताकि कुछ रिकवरी है जाओ।


विनोद पन्त' खन्तोली ' (हरिद्वार), 30-06-2021
M-9411371839
विनोद पंत 'खन्तोली' जी के  फ़ेसबुक वॉल से साभार
फोटो सोर्स: गूगल 

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