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यौ शराब - कुमाऊँनी कविता

kumaoni poem about liquor use in hill,sharab ki burai par kumaoni kavita, kumauni kavita

यौ शराब

प्रस्तुति: राजन चन्द्र जोशी

पहाड़ों में चलि गई हो दाज्यू, आजकलै यौ शराब।
यौ शराबले करीहालि, कतुवाक़ि घरकुड़ी खराब।।
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खानुपीन छोड़ी हालि, और पिन फैगई यौं शराब।
घरमें खाणु राशन नहो, पर रोज चैं एकपऊ शराब।।

कामकाजों में राशन है, ज्यादा लागनै आब शराब।
पैलिबै पौणौकै हलु-पूरी खिलौछी,आब मुर्गी शराब।।

पहाड़ाका गौं-गौं दुकानों में, बिकनै खुलेआम शराब।
कोरोना महामारी मलै रोजै, बिकनै आजकल शराब।।

पहाड़ गौं गौं उजडी, जब बै चलै पहाड़ में यौ शराब।
शराबले करिहाली, पहाड़ लोगों की घरकुड़ी खराब।।

पहाड़ों में चलि गई हो दाज्यू, आजकलै यौ शराब।
यौ शराबले करीहालि, कतुवांक़ि घरकुड़ी खराब।।

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