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पिछोड़ा तू रूठिए झन

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पिछोड़ा तू रूठिए झन
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रचनाकार: राधा बंगारी
सुहागिन महिलाओं की पोशाक उत्तराखंड की रंगीला पिछौड़ कविता*🙏

पिछोड़ा तू रूठिए झन
तू म्येर सुहाग छै
शुभ काम काज में
म्येर भल भाग छै
पिछोड़ा तू रूठिए झन
तू म्येर सुहाग छै...!

तू म्येर दगड़ में
रंग रूपक निखार छै
सदा तू दगड़ रये
तू म्येर जीवन प्यार छै
शुभ काम काज में
म्येर भल भाग छै
पिछोड़ा तू रूठिए झन
तू म्येर सुहाग छै...!

मांग सिदूर सुहाग दस्तूर
तू म्येर सुहागक श्रृंगार छै
ईष्टदेवा सुखी धरिया
तू म्येर सुहागक आधार छै
शुभ काम काज में
म्येर भल भाग छै
पिछोड़ा तू रूठिए झन
तू म्येर सुहाग छै...!

ईश्वर रूपी पिछोड़ तू
म्येर सुहागक संग छै
दगड़ सदा बनै रये
तू म्येर शरीर अंग छै
शुभ काम काज में
म्येर भल भाग छै
पिछोड़ा तू रूठिए झन
तू म्येर सुहाग छै...!

राधा बंगारी
पालपुर, अल्मोड़ा (उत्तराखंड)🙏

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