'

गौं बै शहर -यांकौ अगासै दुसौर छु (भाग-१४)

कुमाऊँनी नाटक, गौं बै शहर - यांकौ अगासै दुसौर छु, Kumaoni Play written by Arun Prabha Pant, Kumaoni language Play by Arun Prabha Pant, Play in Kumaoni

-:गौं बै शहर -यांकौ अगासै दुसौर छु:-

कुमाऊँनी नाटक
(लेखिका: अरुण प्रभा पंत)

->गतांक भाग-१३ बै अघिल-->>

अंक ३३-

आज नरैण आपण चेलि हुं एक पुराणि सायकिल लैरौ और उकं पासैक खालि जाग में सिखूंणौ।  पद्मा कं यो सब ठीक नि लागणौय।   एक द्वि घंट माथ जब रीता नीता और सुनीता आपण बाबू दगै घर पुजीं तो पद्मा कुछ देर चुप्प रै।  जब नरैण बलाण लागौ तो वील के दोरंतर नि दी।

नरैण - के भौं मौन बर्त छु के?
रीता - इजा बाबू तुथै कुणयीं, शुणनी कन, आज हमुल  साइकिल चलैं जरा घुन में खरोड़ी जौ गो, जलन हैरै, के लगूं?
नरैण - आ मैं जरा डेटाल लगै दिनू पाकौल नै, ठीक है जाल।
रीता - ओ इजा,बाबू औरै जलणों ।
नरैण - बेटा के नै, साइकिल चलूण में लागनेरै भै, तबै सिखली।
पद्मा - बस तुम ऐसिकै नानतिनन कं आवारा बणाऔ, चेलि घरैकि सोभा हुनी, बीच भ्यार पन तौ सब के भल बात जे के भै, कल्लै लागी चेली?  त्यार बाबू लै, के अकलै बात जेकेभै।

नरैण - किलै के गलत करौ मैल द्वि बर्स बाद दुसार स्कूल जालि साइकिल चलै बेर, मैं पैल्लियै रीता कं मजबूत करि दिणयूं।  म्यार चेलि सब सिखाल,आपण खुटन में ठाड़ ह्वाल।  बाज पक्षी आपण नानतिनन कं कई सौ फीट ऊंचाई में लिजैबेर उड़न सिखूं।  यो तो मैसौक पोथ छु, सब सिखूंल,खूब पढ़ून मैं।  यमै के समझौत नै।
पद्मा - तुम नि समझला, चेलि जात भै, के अंग भंग है गोयो तौ?
नरैण - नक केहुं सोचूं मैं, इताण शहर में ऐ बेर लै कुणैकि सोच नि हुण चैन भै।  रीता बाद नीता और सुनीता कं लै सिखूंल।
सुनीता - बाबू मैल पछिलाक मैदान में जै बेर नंदनैक साइकिल में कैंची चलूण सिख हाली बस म्यार खुट नि पुजन पैडल में, जो आज बाबू तुम रीता दि कं सिखूणौ छिया उ मैं कर सकनूं बस म्यार खुट नि पुजन, पर मैं साइकिल बैलैंस कर सकनू।
पद्मा - कब चलै त्वील,नंदनाक पास तो क्वे साइकिल न्हां।
सुनीता - किरौ में मिल जैं रोज दस मिनट चलूनू मैं और बदाव में, मैं वीक होम वर्क करण में मदद कर दिनुं बस ।
रीता - बाबू देखौ कतु चालाक छु यो ,बबो मैं हुनौ तो डर जान।
सुनीता आपण बाबुक गलाड़ में हाथ लगै बेर कूण लागि- बाबू मैल के गलत करौ के?
नरैणाक के समझ नि आय कि के जवाब द्युं उ सोच में पड़ गो।

अंक ३४-

आज रीताक जनमबार भौय और आज स़ंयोगैल स्कूल यूं छुट्टी लै छि।  रत्तै नै ध्वे बेर तालै पद्माल आपण लाड़िली कं कपाल पिठ्या लगै आपण हाथाक शिणि लुकुड़न में चेलिक निमछोल करि बेर पू , बाड़ पकै क्वे भजन खुस्सी हैबेर गुनगुनाणै तब तक नरैणैल लै एक पैकेट आपण चेलिक हाथन दि।
रीताल आपण इजबाबू कं पैलाग कौ, आशीष ल्हेऔर पुछण लागि- "बाबू यो के छु?

नरैण - खोल बेर देख ले बेटा।
रीता - "ओ बाबू यो तो मकं चैंछी thank you."
नीता - केछु दी?
रीता - यो डिक्सनरी छु अंग्रेजीक और ऐटलस और द्वि फाउंटेन पैन और पार्करैक स्याइक दवात।
पद्मा - तुमार बाबुक पास डबल और हुना तो क्याप क्याप कर दिन।  चेला,चल सब बाबुक प्यारकरौ, पैलाग कौ।
तीनातीन नानतिनैल अंग्वाल हाल नरैण कं खूब प्यार करौ तो नरैण कूण बैठौ "को कै सकूं कि म्यार पास धन संपत्ति न्हां, मैं सबन है मालदार छुं भागी।"  ब्याल हुं  पड़ौसाक नानतिनन कं पुरि साग खीर रैत और रसगुल्ल खवैयीं तो सुमित्राक च्योल नंदन कूण लागौ, "दीदी केक नहीं काटोगी" तो रीता कूण लागि "हम ऐसे ही मनाते हैं जन्म दिन।"

सुनीता - मेरे और नीता के जन्मदिन में हम केक भी काटेंगे और दी के अगले जन्मदिन पर भी केक कटेगा।"

क्रमशः अघिल भाग-१५ ->> 

मौलिक
अरुण प्रभा पंत 

अगर आप कुमाउँनी भाषा के प्रेमी हैं तो अरुण प्रभा पंत के यु-ट्यूब चैनल को सब्सक्राईब करें

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ